AMAN AJ

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आई नोट , भाग 34

    

    अध्याय-6
    द नाइट
    भाग-3
    
    ★★★
    
    शाम होते ही मानवी थकी हारी दोबारा घर पर आई। उसने दरवाजा खोला अपने जूते उतारे और सोफे पर जाकर बैठ गई। उसने फोन निकाला और दोबारा अपने पति को फोन किया। वह कल रात से घर पर नहीं आया था, ना ही उसने फोन उठाया था। इस बार भी उसने उसका फोन नहीं उठाया।
    
    मानवी ने फोन रखा और फ्रेश होकर खाना बनाने लगी। खाना बनाते बनाते वो आशीष की बातों के बारे में सोचने लगी। खासकर उस बात के बारे में जहां उसने कहा था कि यह रिश्ता प्यार का नहीं बल्कि मजबूरी का है। 
    
    देर रात उसने अकेले ही खाना खाया और दोबारा अपने पति को फोन करने की कोशिश की। इस बार भी सामने से उसके पति ने फोन नहीं उठाया। उसने फोन काटा और उसे बेड पर रख दिया। मगर बेड पर रखते ही उसके फोन पर आशीष का फोन आने लगा।
    
    मानवी ने आशीष का नंबर देखा तो वो थोड़ा सा एक्साइट हो उठी, मगर अगले ही पल उसने खुद को नार्मल किया और फोन उठाया।
    
    “क्या तुम्हारा पति अभी तक घर पर नहीं आया,” आशीष बिल्डिंग के सामने ही खड़ा था। वहां से वह देख पा रहा था कि बिल्डिंग के सामने किसी भी तरह की कार नहीं खड़ी, जो इस बात का संकेत था कि मानवी का पति अभी भी घर पर नहीं आया। उसने काले रंग की हुडडी पहन रखी थी।
    
    मानवी ने सामने से जवाब दिया “हां, लगता है वह मुझसे काफी ज्यादा नाराज हैं। मुझे एक बार खुद उनसे जाकर बात करनी चाहिए।”
    
    “आहं... इसके बारे में सोचना भी मत।”‌ मानवी ने ऐसा कहा तो आशीष तुरंत बोल पड़ा “अगर ऐसा करोगी तो उसे इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं होगा कि उसका काम एक अच्छा काम नहीं है। उल्टा उसे लगने लगेगा उसका काम दुनिया का सबसे अच्छा काम है, और वह यह भी सोचेगा तुम भी इसे स्वीकार कर रही हो।”
    
    “लेकिन अगर मैंने उसे नहीं मनाया तो, वो यह समझने लगेगा मुझे उससे प्यार नहीं।”
    
    “अगर ऐसा है तो उसे समझने दो,” आशीष कार की तरफ गया और पीछे की सीट पर बैठ गया। उसने खुद को आरामदायक स्थिति में किया और कहा “अगर उसे तुमसे प्यार हुआ तो वह ऐसा कभी नहीं समझेगा। प्यार करने वाले को इस बारे में पता होता है कौन उसे कितना प्यार करता है और कौन नहीं। अब तुम जरा मुझे बताओ, तुम यह बात मानती हो ना तुम्हारा पति तुमसे बहुत प्यार करता है।”
    
    “हां।” मानवी ने जवाब दिया

    “तो तुम्हारा पति भी मानेगा। अगर उसे तुमसे प्यार हुआ तो वो जरूर मानेगा तुम उससे प्यार करती हो। लड़ाई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जाए, अगर तुम्हारे पति के दिमाग में प्यार हुआ तो यह बात बिल्कुल भी उसके मन में नहीं आएगी तुम उससे प्यार नहीं करती।” आशीष मानवी को पूरी तरह से अपनी बातों में बहला फुसला रहा था।
    
    “मगर मुझे डर लग रहा है, डर लग रहा है कि कहीं वह मुझे छोड़ ना दे।”
    
     आशीष के चेहरे पर चुप्पी छा गई। वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और बैठते हुए बोला “इसमें डरने वाली कौन सी बात है, तुम एक अच्छी नौकरी करती हो, तुम्हारे पास हर तरह की सुख सुविधा है, ब्यूटीफुल हो, अगर वह तुम्हें छोड़ भी देगा तो तुम्हारे लिए लड़कों की कमी नहीं।” मानवी ने यह सुना तो उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। एक ऐसी मुस्कान जिसमें ब्लेसिंग भी थी।
    
    वह अपने फोन के साथ ही वही बेड पर लेट गई। “लेकिन लड़की तो उसे भी मिल जाएगी, तब क्या”
    
    “यकीनन, यकीनन हो सकता है उसे भी मिल जाए” आशीष भी प्यार भरा अंदाज दिखाते हुए बोला “मगर उसे तुम्हारी तरह की लड़की कभी नहीं मिलेगी। कभी क्या अगले सात जन्मों तक भी नहीं मिलेगी।”
    
    “तो मतलब यह उसका बैड लक होगा, ना कि मेरा।”
    
    “शायद, इस बात को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। फिर मेरा तो यह भी कहना है कि 3 साल पहले उसने जो तुम्हें पाया, तुम्हारा पति, वो उसके भी लायक नहीं था। तुम बेटर डिजर्व करती थी।”
    
    मानवी अपने बालों से खेलने लगी, मगर यह जो बात आशीष ने कही थी उसने उसे थोड़ा सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने खुद में खोए हुए पुछा “और बैटर में मैं कैसा पर्सन डिजर्व करती थी।”
    
    आशीष ने चेहरे पर ऐसे एक्सप्रेशन दिखाई जैसे उसे इसी समय का इंतजार था। उसने अपने बातों को लहराते हुए कहा “कोई ऐसा जो तुम्हें हर तरह की खुशी दे पाता। हर तरह की वो खुशी जो तुम चाहती थी। लाइक, अभी तुम किराए के घर में रहती हो, तो कोई अच्छा सा घर, एक ऐसा घर जो अपने आप में आलीशान हो, फिर उस घर में दूसरी तरह की सुविधाएं, बाहर का घूमना फिरना, महंगी गाड़ियां, कम से कम तुम जैसी लड़की को यह सब तो मिलना ही चाहिए था।”
    
    “मगर मेरे पति ने, उसने भी मुझे इस मामले में कभी निराश नहीं किया। मुझे कभी ऐसा फील नहीं होने दिया जैसे मेरे पास किसी चीज की कमी हो।”
    
    “क्योंकि उसने तुम्हें 3 साल तक घर से बाहर निकाला ही नहीं, उसने तुम्हें अपनी उस दुनिया में रखा जहां वह तुम्हें पूरी तरह से सेटिस्फाई रखता था। ऐसी चीजों से जो बिल्कुल आम थी पर तुम उससे भी ज्यादा डिजर्व करती थी। अच्छा, मुझे बताओ तुम्हें तुम्हारे पति ने बताया कि उसने तुम्हें 3 सालों तक घर पर क्यों रखा? उसने तुम्हें बाहर क्यों नहीं निकलने दिया?”
    
    “क्योंकि उसका मानना था इससे हमारा प्यार कम होगा। बस इसीलिए उसने मुझे घर से बाहर नहीं जाने दिया।”
    
    “तब तो वो इस बात को भी जानता था कि जैसे ही तुम घर से बाहर निकलोगी, तुम्हें इस बात का पता चल जाएगा कि असल में जिंदगी किसे कहते हैं। तुम्हें जिंदगी की सच्चाई पता चल जाएगी। तुम जान जाओगी कि तुम्हारे पास जो भी है वो तुम्हें खुश रखने के काबिल नहीं, बल्कि तुम्हें इससे भी ज्यादा चाहिए।”
    
    मानवी पलटी और दूसरी तरफ देखने लगी “लेकिन मुझे यह भी कभी नहीं लगा। यहां तक कि जब उसने मुझे बाहर जाने की परमिशन दी थी, तब मैं ही उसे मना कर रही थी। मैंने ही उससे कहा था मुझे बाहर नहीं जाना।”
    
    “उपपस...” आशीष ने ऐसे कहा जैसे यह कोई बहुत बड़ी परेशानी वाली बात हो।
    
    “क्या हुआ...” मानवी एकदम से अपनी जगह से खड़ी हो गई।
    
    “इसका तो यही मतलब निकल कर आता है कि तुम्हारे पति ने तुम्हारे इमोशन खत्म कर दिए हैं। उसने तुम्हारी फिलिंग को खत्म कर दिया है।”
    
    “यह तुम क्या कह रहे हो, मगर ऐसा कैसे हो सकता है, मेरी फीलिंग, मेरी फीलिंग कैसे खत्म हो सकती है”
    
    “क्या तुम मनोविज्ञान जानती हो, या तुम्हें मनोविज्ञान के सिद्धांत पढ़ा है।” आशीष ने दोबारा पहले वाली जगह ले ली। वह एक बड़ा शैतानी दांव चलने वाला था। उसने खुद को पीछे की सीट पर पूरी तरह से लेटाया और कहा “मनोविज्ञान कहता है जब हम अपने आसपास की चीजों को अनुभव करना छोड़ देते हैं, या आसपास की चीजों को लेकर ऐसी फीलिंग बना लेते हैं कि हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, तब इसका मतलब होता है हमारे शरीर के इमोशनल अटेंशन खत्म हो गए हैं। हममें फीलिंग नाम की कोई भी चीज नहीं रही।”
    
    “मुझे नहीं लगता है ऐसा कुछ हुआ होगा, यह चीज, यह चीज मानने वाली नहीं है।”
    
    “कोई भी इसे नहीं मानता, जिसके साथ भी यह होता है उसे यही लगता है उसके साथ ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। यह सच्चाई है।”
    
    आशीष की फिलॉसफी वाली बातें मानवी को यह कन्वर्स करने के लिए मजबूर कर रही थी कि उसके साथ ऐसा ही कुछ हुआ है। तभी आशीष अपनी जगह से आगे की और आया और हल्की सी आवाज में कहा “अच्छा, क्या मैं अभी इसी वक्त तुम्हारे घर पर आऊं?”
    
    “मेरे घर पर!!” मानवी बेड पर बैठी हुई थी, जैसे ही उसने यह सुना वह खड़ी हो गई और अपने बालों में हाथ फेरने लगी। उसका पूरा चेहरा पसीने से भर गया था “नहीं नहीं, यह ठीक नहीं रहने वाला, आप, आप मेरे घर पर!”
    
    “डरो मत, ऐसी भी कोई बात नहीं जो तुम्हें डर लगे। तुम जानती हो ना मैं एक रिच अमीर इंसान हूं, और मेरे मन में कुछ भी गलत नहीं होता। मैं बस इसलिए आने का कह रहा था ताकि फिलिंग वाली बात तुम्हें अच्छे से समझा पाऊं।‌ इसे फोन पर समझा पाना आसान नहीं जब की आमने सामने यह आसान रहता है।”
    
    “आप कल ऑफिस में मुझे इस बारे में बता देना,”
    
   आशीष ने यह सुना तो अपनी आंखें बंद कर ली, मानो मानवी का ना करना उसे गुस्सा दिलाने वाला था “ऑफिस में काम का वक्त होता है... वहां यह बात तो क्या हालचाल पूछने वाली बात भी नहीं हो पाती।”
    
    “मगर आप ऐसे नहीं आ सकते, कोई देखेगा तो क्या कहेगा?”
    
    “तुम हमेशा औरो की फिक्र क्यों करती रहती हो, कभी अपने पति की, कभी औरों की, क्या तुम्हारे लिए तुम्हारी जिंदगी के कोई मायने नहीं।”
    
    “हे... मगर फिर भी, फिर भी डर तो सभी को लगता है ना।”
    
    आशीष ने हल्की सांस ली और धीमे स्वर में कहा “अच्छा, अगर मैं अपनी पहचान छुपा कर आऊं तो चलेगा, यानी छुपकर, इस तरह से कि किसी को भी पता ना चले।”
    
    मानवी खामोश हो गई। खामोश होकर वह सोचने लगी कि उसे क्या करना चाहिए क्या नहीं। वह बार-बार अपने बालों में हाथ फेर रही थी। कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा “मगर क्या आप यह कर पाएंगे, आप एक अमीर, आप अमीर हो तो...”
    
    आशीष मुस्कुराया “तुम फिकर मत करो, यह बस मेरे बाएं हाथ का काम है। जस्ट वेट एंड वॉच। मैं 30 मिनट में आया।” उसने इतना कहा और फोन काट दिया। फोन काटने के बाद वो उसे अपने हाथ में घुमाने लगा। उसकी आंखों में खुशी दिखाई दे रही थी जबकि चेहरे पर दिलचस्प मुस्कान।
    
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